Skip to main content

गंगा की अविरलता संकट में — जलपुरुष

साक्षात्कार डॉ. राजेंद्र सिंह

published in http://www.jagritbihar.com/2018/01/06/%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%9F-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C/

    जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह गंगा की बदहाली से चिंतित हैं. वरिष्ठ पत्रकार दीपक पर्वतियार के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार रैली फॉर रिवर के बहाने गंगा को और भी ज्यादा नुक्सान पहुंचा रही है. उन्होंने 16 जनवरी को दिल्ली में सभी गंगा प्रेमियों की एक आपात बैठक बुला एक मुहीम छेड़ने का ऐलान किया है.

प्रश्न. आपने गंगा के लिए 16 जनवरी को दिल्ली में आपात बैठक बुलाने की घोषणा की है. इस आपात बैठक बुलाने की क्या जरूरत पड़ गई? इस बैठक से आपकी क्या उम्मीदें हैं ?

2007 से लेकर 2014 तक गंगा जी के लिए हम सतत आन्दोलनरत थे. उस आन्दोलन में हमने बड़ी कामयाबी हासिल की थी -- गंगा जी को राष्ट्रीय नदी घोषित कराया था; गंगा बेसिन अथॉरिटी बनवाई थी; गंगा जी के उद्गम स्थान से उत्तर काशी तक 150 किलोमीटर लम्बी भागीरथी नदी को पर्यावरणीय संवेदनशील घोषित करवाया था.
हमने गंगा जी के ऊपर के हिस्से में बन रहे तीन बांधों – लोहारिनाग पाला, भैरों घाटी और पाला मनेरी – को रद्द करवाए थे और नए बांधों के बनने पर रोक लगवाई थी. गंगा जी के लिए पर्यावरणीय परवाहा को सुनिश्चित करने के सिद्धांत तय किये थे. गंगा जी की अविरलता और निर्मलता में बाधक तत्वों की खोज करने वाले तीन व्यापक अध्ययन भी संपन्न हुए थे.
आगे की कार्य योजना लगभग पूरी थी. इस सब कार्यों के साथ साथ गंगा संरक्षण के लिए मंत्रालय एवं अलग से एक अधिनियम बनाने का फैसला हुआ था. उसके बाद नयी सरकार ने गंगा की अविरलता, निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए अपेक्षा से अधिक वायदे किये थे जिनमे से केवल दो वायदे ही अब तक पूरे हुए हैं -- गंगा जी का अलग से मंत्रालय बना और गंगा जी के लिए काम करने वाली एक अधिसूचना जारी हुई. पर उसके बाद जो वास्तविक काम गंगा के लिए करने चाहिए थे उनमे से कोई भी एक काम ठीक दिशा में आगे नहीं बढ़ा.
प्रतीक्षा की एक लम्बी काल अवधि पूर्ण हो चुकी है. तीन साल आठ महीने हो गए हैं. अब यदि गंगा भक्त, गंगा योद्धा, गंगा सेवक, गंगा नायक, और गंगा ऋषि यदि खड़े हो कर गंगा जी हेतु सरकार पर दबाव नहीं बनायेंगे तो भारत की जनता सरकार से तो चुनाव के वक्त पूछेगी ही, लिकिन इन गंगा भक्तों को भी माफ़ नहीं करेगी. इसीलिए गंगा के नाम पर काम करने वाले सभी लोगों को अब एक बार खड़े हो कर सीधे सरकार से गंगा के लिए काम नहीं करने के कारण पूछने चाहिए. इसी हेतु 16 जनवरी 2018 को नयी दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में यह आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक से उम्मीद यह है कि गंगा जी के लिय काम करने वाले सभी लोग जो बिखर गए थे वो सब एकजुट होकर 2012-13 जैसा आन्दोलन गंगा जी के लिए 2018 में फिर से खड़ा करेंगे.

प्रश्न: आप किस आधार पर कह सकते हैं कि आज की सरकार गंगा जी की अविरलता और निर्मलता सुनिश्चित करने के मामले में पिछली सरकार से भी ज्यादा संवेदनहीन दिखाई दे रही है?

क्योंकि पुरानी सरकार ने गंगा जी पर बन रहे बांधों को रद्द किया था; नए बाँध बनने पर रोक लगाई थी; गंगा जी के भागीरथी वाले हिस्से को पर्यावरणीय संवेदनशील घोषित कर के उसकी विलक्षण प्रदुषण नाशिनी शक्ति को बायोप्लाज्म द्वारा पुनर्प्रवाहित करने का संकल्प, गंगा प्रेमियों के साथ मिलकर लिया था और प्रत्यक्ष रूप में उक्त सारे कामों को पूर्ण कराने की दिशा में नियम बना कर काम शुरू दिया था. इस सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया और पुराने चल रहे कामों को आगे बढ़ने से रोक दिया.

प्रश्न: आपने आरोप लगाया है कि कुछ कथित धार्मिक गुरुओं ने नदियों की ज़मीन पर वृक्षारोपण करने के नाम पर सरकारों से जमीन और पैसे के लिए सहमती पत्र तैयार किये हैं. इस आरोप का आधार क्या है?

हमारे कुछ साथियों ने सूचना का अधिकार के तहत यह जानकारी हासिल की है. रैली फॉर रिवर की संचालक संस्था ईशा फाउंडेशन एवं सद्गुरु ने 14 राज्य सरकारों के साथ नदियों के दोनों तरफ वृक्षारोपण करने हेतु ज़मीन एवं आर्थिक सहायता हेतु समझौतों पर हस्ताक्षर करवाए हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि सद्गुरु गंगा जी की ज़मीन पर भी खेती छुड़वाकर कॉर्पोरेट को, बड़े औद्योगिक घरानों को, संविदा फलोत्पादन करवाना चाहते हैं जिससे गंगा की भूमि पर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्ज़ा भी होगा और उनके उद्योग बढ़ेंगे जिससे गंगा जी में प्रदूषण ही बढ़ने वाला है.

प्रश्न: आपने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार के साथ पिछले वर्ष काफी कार्यक्रम साथ किये थे. इन कार्यक्रमों का क्या हश्र हुआ? कितनी सफलता मिली. क्या नितीश के एनडीए में शामिल होने से इन कार्यक्रमों पर कुछ असर पड़ा?

बिहार के मुख्य मंत्री ने गंगा जी की अविरलता के लिए बहुत रूचि लेकर हम सब के साथ मिलकर गंगा जी में बढ़ रही गाद से बढ़ने वाली बाढ़ के कारणों को बहुत गहराई से उठाया था. अब इसके लिए भारत सरकार ने एक समिति बनायी है जो इसकी जांच कर रही है. इस जांच की रिपोर्ट आने के बाद हम इस सवाल को और आगे बढ़ाएंगे. हम गंगा जी में और नए बैराज बनने का विरोध करते हैं. हम चाहते हैं कि गंगा जी अविरल कायम रहें. गंगा जी को और आगे बाँधा ना जाए. अभी भारत सरकार की जलमार्ग योजना के तहत गंगा जी पर 16 बैराज बनाने की योजना प्रस्तावित है. इस पर धीरे धीरे सरकार अपने तरीके से काम कर रही है. बिहार सरकार की तरफ से उस योजना का अब पहले जैसा व्याग्र विरोध नहीं दिख रहा है.
हमें लग रहा है कि गंगा जी पर अविरलता और निर्मलता का संकट बढ़ता जा रहा है और नेताओं ने गंगा जी की तरफ से मुंह मोड़ लिया है. इस बार गंगा जी का मुद्दा पिछले चुनाव की अपेक्षा शांत है क्योंकि अब यदि गंगा जी का मुद्दा उठा तो जनता सीधे सवाल पूछेगी और वोट नहीं देगी.   

    


Comments

Popular posts from this blog

Can Politicians in India ever be Honest ?

Can Politicians in India ever be Honest ? By  Deepak Parvatiyar September 10, 2014 “Na Khaoonga, Na Khane Doonga,” Prime Minister Narendra Modi recently declared. Loosely translated, it meant the PM would not tolerate corruption at public offices and one of his cabinet ministers lauded his remarks saying it required “real guts” for the PM to make such public proclamations. Why can’t we have honest politicians? Consider a quote from Simon Cameron, who served as United States Secretary of War for Abraham Lincoln at the start of the American Civil War — “An honest politician is one who, when he is bought, will stay bought.” It does conceal less and reveals all! Role of Big Money and Lobbyists in Politics You may also like to read Politicians of India At this juncture I am reminded of American Gil Fulbright’s last year’s satirical crowdfunding campaign for his project, ‘The Honest Politician’, that sought to enable him contest for the Kentucky senate against

Karnataka Elections 2018 No political party has ever returned to power in Karnataka since 1983

Karnataka Elections 2018 No political party has ever returned to power in Karnataka since 1983 By Deepak Parvatiyar The Marathi translation of this article was published in leading Marathi daily Pudhari on 28 April 2018     The high voltage election campaigning by national leaders of both rival parties, the Bharatiya Janata Party and the Congress, signify the importance of Karnataka elections. In case the Congress retains the state after elections, it will be a great morale booster for its cadre. In such a case the Congress president Rahul Gandhi can look forward to the ensuing elections in Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhatisgarh – all BJP bastions, with a positive frame of mind. He could then hope for a revival of the party before the 2019 general elections. This would be important particularly after his continued dismal show in state elections including those in the North Eastern states of Meghalaya, Tripura and Nagaland, earlier this year. To his advantage, K

Waterman Rajendra Singh on his activities in Maharashtra

Published in Marathi Daily Pudhari on 9th January 2018 साक्षात्कार डॉ . राजेंद्र सिंह जलपुरुष नाम से विख्यात मैग्सेसे एवं स्टॉकहोल्म वाटर पुरुस्कार से सम्मानित डॉ. राजेंद्र सिंह एक अरसे से महाराष्ट्र में पानी की समस्या के निवारण के लिए काम कर रहे हैं. उनके कामों का क्या प्रभाव पड़ा है इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक पर्वतियार ने विस्तार से उनसे बातचीत की.   प्रश्न 1. महाराष्ट्र में आप काफी समय लगा रहे हैं . आपके कामों का क्या प्रभाव हो रहा ? उत्तर. महाराष्ट्र में हम पांच तरह के काम कर रहे हैं. एक तो जल साक्षरता का काम जिसमें मेरा बहुत समय लगता है. महाराष्ट्र इस देश में अकेला राज्य है जहां सरकार, समाज और एकेडेमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव तथा सोशल एडमिनिस्ट्रेटिव लीडरशिप के लोगों ने मिलकर पूरे राज्य में जल साक्षरता का एक अभियान   शुरू करने का काम किया है. यसदा में उसका सेंटर है. योजना में बहुत अच्छी टीम काम कर रही है. मैं उनको मदद करता हूं. उनको समय देता हूं. दूसरा काम जलयुक्त शिवार का है. वहां कुछ जगह जलयुक्त शिवार में जहां - जहां कुछ ऑफिस से और सामाजिक कार्यकर्त