अन्ना हजारे और जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आन्दोलन छेड़ा, बिहार सहित सभी गंगा बेसिन राज्यों में आंदोलन की शुरुआत
अन्ना हजारे और जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आन्दोलन छेड़ा, बिहार सहित सभी गंगा बेसिन राज्यों में आंदोलन की शुरुआत
दीपक पर्वतियार
Published in www.jagritbihar.com (http://www.jagritbihar.com/2018/01/16/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%B2-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B7-%E0%A4%B0%E0%A4%BE/)
नई दिल्ली । वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जलपुरुष राजेंद्र सिंह के साथ मिलकर गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आज नयी दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित एक गंगा चिंतन शिविर से एक आन्दोलन की शुरुआत की।
गंगा बेसिन में पड़ने वाले ११ राज्यों से आये उपस्थित सामाजिक चिंतकों एवं पर्यावरणविदों के समक्ष अन्ना ने कहा कि उनकी पूर्वघोषित 23 मार्च 2018 से दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले आन्दोलन में गंगा की निर्मलता और अविरलता भी एक प्रमुख मुद्दा रहेगा। “अब हम पानी, किसानी और जवानी को लेकर देशव्यापी आन्दोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं और गंगा को बचाने के लिए मैं पूरी तरह साथ हूं,” उन्होंने कहा। उन्होने युवाओं से आह्वाहन करते हुए कहा कि हमें अपनी गंगा मां और प्रकृति का दोहन रोकने हेतु युवाओं को संगठित करना होगा। साथ ही यदि गंगा को बचाना है तो सच्चे संकल्प एवं प्रतिज्ञा करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा मां को उनके पूर्व स्वरुप में लाने हेतु अब सिर्फ आन्दोलन नहीं किया जाएगा बल्कि समाधान हेतु अनवरत प्रयास किए जाएगा। इस प्रयास में समुदाय के सहयोग के साथ-साथ वैज्ञानिकों के सुझाव भी महत्वपूर्ण रहेंगे। उन्होंने कहा कि गंगा को समझने, सहेजने के लिए हर वर्ग को संगठित करने की आवश्यकता है। “हमारी कार्ययोजना है कि आगामी आन्दोलन सत्य व अहिंसा के रास्ते में चलकर आगे बढ़ाया जाए,” उन्होंने कहा। उन्होंने बताया कि गंगा को लेकर वल्र्ड वाइल्ड फोरम, भारतीय प्रौद्यागिक संस्थानों, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट के आधार पर निकलकर आया था कि गंगा प्रदूषित हो चुकी है जिसे उपचारित करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियंत्रिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक राकेश कुमार ने कहा कि सरकार यदि कोई भी परियोजना करती है तो समाज और पर्यावरण दोनों को ध्यान में रखती है। परन्तु वर्तमान परियोजनाओं में कुछ बिन्दुओं में बदलाव किए जाने की आवश्यकता है जिससे जलीय जन्तुओं को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु गंगा समेत अन्य नदियों पर बने डैम से जो पीड़ा उत्पन्न हुयी है उससे गंगा किनारे एवं निचले इलाकों में आबादी के सक्रिय सहयोग से गंगा के पुनर्जीवन एवं प्रवाह हेतु कार्ययोजना पर मंथन किया जा रहा है. “डैम अफेक्टेड पीपल की जगह डैम अफ्फेक्टेड रीज़न की परिभाषा बनाने पर मंथन चल रहा है।”
चिन्तन शिविर के दौरान वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड (डब्लू डब्लू ऍफ़) में रिवर बेसिन एवं जल नीति में निदेशक डाॅ0 सुरेश बाबू ने कहा कि जिले एवं राज्य स्तर पर गंगा साक्षरता समिति का गठन, कृषि में पानी के समुचित उपयोग हेतु वाटर बजटिंग करने की आवश्यकता है साथ ही साथ पर्यावरणीय प्रवाह हेतु नदी के पानी को नदी हेतु संरक्षित करने हेतु नीति निर्माण की आवश्यकता है। गंगा को उसके पुर्नस्वरुप में लाने हेतु उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त बनाने की आवश्यकता है। गंगा नदी बेसिन प्रबन्धन कार्ययोजना में यह तय हुआ था कि गंगा 2020 तक अविरल व निर्मल हो जाएगी परन्तु वस्तुतः स्थिति यह है कि गंगा की सहायक नदी काली पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। सुरेश बाबू ने कहा कि गंगा में कितना सेमी0 प्रवाह होना चाहिए आज तक इसपर कोई भी अध्ययन नहीं हुआ है।
इस अवसर पर जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि गंगा को उनके पूर्व स्वरुप में लाने हेतु 21 सदस्यीय टाॅस्क फोर्स का गठन किया गया है जिसमें विषय विशेषज्ञ, समाज एवं न्यायविदों को सम्मिलित किया जो कि गंगा रिवर बेसिन के 11 राज्यों — उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से हैं।
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